लाल ग्रह यानी मंगल ग्रह पर एक के बाद एक तीन अंतरिक्ष यान लैंड करने वाले हैं। इनमें सबसे पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का अंतरिक्ष यान आज मंगलवार को लैंड करेगा। इसके अगले दिन चीन का यान मंगल पर लैंड करेगा। इसके एक सप्ताह बाद नासा का रोवर कॉस्मिक कैबूज 18 फरवरी को मंगल पर लैंड करेगा। अंतरिक्ष के इन अभियानों का उद्देश्य मंगल पर जीवन की संभावना का पता लगाना है।
मंगल की यात्रा करने के प्रयास में संयुक्त अरब अमीरात और चीन नए देश हैं। इनके बहुत सारे अभियान असफल रहे हैं। जबकि भारत 24 सितंबर 2014 को मंगल पर पहुंचने के साथ ही विश्व में अपने प्रथम प्रयास में ही सफल होने वाला पहला देश तथा सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बाद दुनिया का चौथा देश है। इसके अतिरिक्त ये मंगल पर भेजा गया सबसे सस्ता मिशन भी है। भारत एशिया का भी ऐसा करने वाला प्रथम पहला देश है, क्योंकि इससे पहले चीन और जापान अपने मंगल अभियान में असफल रहे थे।
रूस के सहयोग से वर्ष 2011 में चीन ने पहली बार मंगल पहुंचने की असफल कोशिश की थी। उधर, यूएई के विज्ञानी अपने इस मिशन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। यूएई मंगल अभियान के प्रोजेक्ट मैनेजर ओमरान शराफ ने कहा कि हम खुश हैं, पर चिंता के साथ तनाव में हैं।
नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अभियान से मंगल पर जीवन के प्रमाण खोजने के अलावा लाल ग्रह के बारे में कई अहम जानकारी प्राप्त होंगी जिससे 2030 तक मानव अभियान के लिए मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है। नासा के प्रशासक जिम ब्रिडेंस्टीन ने कहा, “इस रोवर का नाम परसेवेरेंस इसलिए रखा गया है क्योंकि वहां जाना बहुत कठिन है।” परसेवेरेंस का अर्थ दृढ़ता या संकल्पित होकर किसी कार्य को करना है।