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Thursday, November 14, 2024

जितेंद्र तिवारी का ममता बनर्जी पर तीखा वार : अब सरकार को लगता है कि मेरे जीवन का कोई मूल्य नहीं है, इसलिए मेरी सुरक्षा हटा दी गई

अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल चुनाव से ठीक पहले ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की मुसीबतें बढ़ गईं हैं। बीते दो दिनों में तीन नेताओं ने टीएमसी का साथ छोड़ा है। इनमें से पहला नाम है शुभेंदु अधिकारी का जिन्हें ममता बनर्जी का खास माना जाता था, वहीं दूसरा नाम जितेंद्र तिवारी का है और तीसरे हैं शीलभद्र दत्त। तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले विधायक जितेंद्र तिवारी ममता सरकार पर बरसे हैं। 

आसनसोल से कोलकाता के लिए रवाना होने से पहले जितेंद्र तिवारी ने कहा ‘जब राज्य सरकार को लगा कि मेरा जीवन कीमती है, तो इसने मुझे सुरक्षा दी। अब सरकार को लगता है कि मेरे जीवन का कोई मूल्य नहीं है, इसलिए मेरी सुरक्षा हटा दी गई है।’ बता दें कि जितेंद्र तिवारी के साथ टीएमसी के दो अन्य बागी नेता भी कोलकाता के लिए रवाना हुए हैं। 

ऐसी अटकलें हैं कि शुभेंदु अधिकारी के साथ-साथ जितेंद्र तिवारी और अन्य टीएमसी के बागी नेता भाजपा नेता और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बंगाल दौरे के दौरान भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे। बता दें कि टीएमसी को दो दिनों में शुभेंदु अधिकारी, जितेंद्र तिवारी और बैरकपुर से टीएमसी विधायक शीलभद्र दत्ता के रूप में तीन झटके लगे हैं, जिन्होंने टीएमसी से इस्तीफा दिया है। 

केंद्र द्वारा जारी फंड का सही इस्तेमाल न होने से नाराज आसनसोल के विधायक जितेंद्र तिवारी ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने टीएमसी के पश्चिम बर्द्धमान जिला अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया था। इस पर तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता सौगत रॉय ने कहा, ‘कुछ साल पहले तक जितेंद्र तिवारी कौन थे? वह आज जो भी हैं पार्टी की वजह से हैं। अगर वह अब पार्टी छोड़ रहे हैं तो एक ‘गद्दार’ और मौसम के हिसाब से रुख बदलने वाले से ज्यादा कुछ नहीं हैं।

बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और गृह अमित शाह 19 और 20 दिसंबर को दो दिन के लिए बंगाल आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस दौरान ममता के कई बागी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। नंदीग्राम से ममता बनर्जी को सत्ता तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले शुभेंदु अधिकारी भी अब कमल थामने जा रहे हैं। 

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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