वहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को झारखंड सरकार के इस दावे का संज्ञान लिया कि खनन काम बंद होने के पश्चात खदान के पट्टाधारकों द्वारा खनन वाले इलाके में फिर से घास लगाने के आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। शीर्ष न्यायालय इसके लिए संबंधित प्राधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की चेतावनी दी।
सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना झारखंड में खुदाई नहीं
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने केन्द्र से कहा कि झारखंड में व्यावसायिक खनन के लिये कोयला खदानों की ई-नीलामी के बाद शीर्ष अदालत की अनुमति के बगैर खुदाई नहीं होगी।शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि न्यायालय के निर्देशो का पालन नहीं होने की स्थिति में संबंधित प्राधिकारियों के खिलाफ वह कार्रवाई कर सकता है। पीठ ने कहा हमारी अनुमति के बगैर झारखंड में खनन के लिए खुदाई शुरू नहीं की जाएगी।
घास लगाना अनिवार्य
खनन कार्य के दौरान घास पूरी तरह से खत्म हो जाती है और उसने आठ जनवरी को सरकार को निर्देश दिया था कि खदानों के पट्टाधारकों पर यह शर्त लगाई जाये कि खदान में खनन काम बंद होने के बाद उन्हें खदान वाले क्षेत्र में फिर से घास लगानी होगी।