पटना: बिहार की इन हस्तियों को भविष्य में सरकार दे सकती है पद्म पुरस्कार, इनकी शैक्षणिक कार्यशैली हैं प्रेरणादायक। कोई चलाता सुपर 30 तो कोई 1 रूपया गुरु दक्षिणा में बना रहा इंजीनियर। सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में शामिल पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों पद्म विभूषण, पद्मभूषण और पद्मश्री में दिए जाते हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिए जाने वाले पद्म पुरस्कार देश के प्रतिस्ठित पुरस्कार में से एक है।
कौन है ये शिक्षक जिन्हें मिल सकता है पद्म पुरस्कार
हम बात कर रहे उन शिक्षकों के बारे में जो अपने शैक्षणिक कार्यशैली से लाखों युवाओं के रोल मॉडल बन चुके हैं।
बिहार के चर्चित शिक्षक अभयानंद, आनंद कुमार और आरके श्रीवास्तव को कौन नहीं जानता, जो प्रत्येक वर्ष आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को इंजीनियर बना उनके सपने को पंख लगा रहे हैं। ये तीनों बिहार के अनमोल रत्न हैं। ये सभी शिक्षक ने आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई ,एनडीए प्रवेश परीक्षा सफ़लता दिलाकर बेहतर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं।
बिहार देशभर में अनूठे एकेडमिक्स की वजह से भी चर्चित हैं। अभयानंद और आनंद कुमार ( Anand Kumar) ने गरीब बच्चों को आईआईटी (IIT) जैसे संस्थानों में भेजकर ऐसी लकीर खींच दी है कि पूरी दुनिया उनके काम को सलाम करती है। एक मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव (RK Srivastava) भी गज़ब तरीके से बच्चों को पढ़ाते हैं।
आरके चुटकले और कबाड़ों के जरिए से खेल-खेल में बच्चों को गणित की मुश्किल पढ़ाई करवाते हैं। कबाड़ को जुगाड़ से खिलौने बनाकर प्रैक्टिकल में यूज करते हैं। वो सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर, सवाल हल करना बताते हैं। आरके 52 तरीके से पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras theorem) को सिद्ध कर दुनिया को हैरान कर चुके हैं। वो 450 से ज्यादा बार फ्री नाईट क्लासेज चलाकर भी सुर्खियां बटोर चुके हैं। उनकी क्लास में स्टूडेंट पूरी रात 12 घंटे गणित की पढ़ाई कर चुके हैं। जो खुद मैं हैरान करने वाली बात है।
सुपर 30 के आनंद कुमार
लोग बताते हैं कि वह भी सुपर 30 की तरह भी गरीब स्टूडेंट को इंजीनियर बनाते हैं। इसके बदले में मात्र एक रुपए गुरु दक्षिणा लेते हैं। आकड़ों के अनुसार अभी तक 540 आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स को आईआईटी,एनआईटी, बीसीईसीई प्रवेश परीक्षा में सफलता दिलाकर उनके सपनो को पंख लगा चुके है। कई लोग दावा करते हैं कि आरके, सुपर 30 के आनंद कुमार की परंपरा के टीचर हैं।
गरीब परिवार में जन्मे बिक्रमगंज रोहतास के आरके श्रीवास्तव का जीवन काफी संघर्ष से भरा रहा। जिससे लड़ते हुए वह अपनी पढ़ाई पूरी की। लेकिन, टीबी की बीमारी के कारण आईआईटी की प्रवेश परक्षा नहीं दे पाए। बाद में ऑटो चलने से होने वाले इनकम से परिवार का भरण-पोषण होने लगे।
रामानुजन और वशिष्ठ नारायण सिंह को आदर्श मानने वाले आरके श्रीवास्तव बाद में कोचिंग पढ़ाने लगे। गणित के लिए इनके द्वारा चलाया जा रहा निःशुल्क नाईट क्लासेज अभियान पूरे देश मे चर्चा का विषय बना हुआ है। इस क्लास को देखने और उनका शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिए कई विद्वान उनके इंस्टीट्यूट आ चुके हैं।