पिछले कुछ सालों में भारत-चीन के बीच रिश्ते काफी खराब हुए हैं। पहले साल 2017 में डोकलाम विवाद के चलते रिश्तों में खटास आई और फिर इस साल अप्रैल से पूर्वी लद्दाख में जारी तनातनी की वजह से संबंधों में गिरावट आती चली गई। हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि चीन ने साल 2017 के डोकलाम विवाद के बाद से ही लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की एलएसी पर कई तरह की तैयारियां शुरू कर दी थीं। हाल ही में, पड़ोसी देश ने एलएसी पर डेप्थ वाले इलाकों में 20 मिलिट्री कैंप्स बनाए हैं।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि चीन एलएसी के साथ-साथ अपने गहराई वाले क्षेत्रों में मिलिट्री कैंप्स बना रहा है। कुछ नागरिकों के साथ लगभग 20 ऐसे कैंप्स देखे गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि इन कैंपों की मदद से चीनी जवानों को पैट्रोलिंग करने में आसानी होगी। इसके अलावा, वे सीमा पर होने वाली कोई भी गतिविधियों पर तुरंत रिएक्ट कर पाएंगे।
दो महीने से अधिक समय तक चला डोकलाम संकट साल 2017 में हुआ था, जब भारत ने भूटानी क्षेत्रों में चीनी निर्माण सड़कों पर आपत्ति जताई थी। उस निर्माण के चलते चीन भारत के पूर्वोत्तर राज्यों तक आसानी से पहुंच सकता था। उस समय भारत द्वारा उठाए गए रुख की वैश्विक समुदाय द्वारा सराहना की गई थी और कहा गया था कि संभवतः यह पहली बार है जब किसी देश ने चीन के खिलाफ इस तरह के कदम उठाए हैं।
वहीं, मौजूदा समय में चल रहे भारत और चीन के बीच तनाव में भारत ने आक्रामकता से पड़ोसी देश को जवाब दिया है। पूर्वी लद्दाख में चीन की हर हरकत का जवाब देने के लिए महीनों से बड़ी संख्या में भारतीय जवान डटे हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर चीन ने भी एलएसी पर लगभग 60 हजार जवानों को तैनात कर रखा है। इसके अलावा, दोनों देशों ने बड़ी संख्या में टैंक्स, मिसाइल गन समेत कई हथियार तैनात कर रखे हैं।
लद्दाख के बाद अब गुजरात के पास चीन की चालबाजी
वहीं, दूसरी ओर चीन अब लद्दाख के बाद गुजरात की सीमा पर चालबाजी दिखाने की फिराक में है। दरअसल, चीन पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर सैन्य अभ्यास करने जा रहा है, जिसके लिए उसने गुजरात सीमा के पास बने पाकिस्तानी एयरबेस के लिए फाइटर जेट्स और सैनिकों को भेजा है। चीन ने सोमवार को इसका ऐलान करते हुए कहा कि वायु सेना की कवायद का उद्देश्य दोनों सेनाओं के ‘वास्तविक युद्ध प्रशिक्षण’ में सुधार करना है।