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Monday, June 30, 2025

एम्स, आईसीएमआर-कोविड-19 टास्क फ़ोर्स और जॉइंट मॉनिटिरंग ग्रुप ने कोरोना वायरस के वयस्क मरीज़ों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए

एम्स, आईसीएमआर-कोविड-19 टास्क फ़ोर्स और जॉइंट मॉनिटिरंग ग्रुप ने कोरोना वायरस के वयस्क मरीज़ों के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. इसमें मरीज़ों को माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर श्रेणी में बांटा गया है और उनके इलाज के तरीक़ों के बारे में बताया गया.

  • वे वयस्क मरीज़ माइल्ड डिज़ीज़ हल्के संक्रमण की श्रेणी में आएंगे जिनको सांस लेने में कोई कठिनाई नहीं है.
  • मॉडरेट श्रेणी यानी गंभीर संक्रमण में वे मरीज़ हैं जिनका ऑक्सीजन स्तर कमरे की हवा में 93% और 90% के बीच बना हुआ है.
  • सीवियर या ख़तरनाक श्रेणी में वे मरीज़ हैं जिनका ऑक्सीजन स्तर कमरे की हवा में 90% से कम है.
  • माइल्ड डिज़ीज़ के मरीज़ों को होम आइसोलेशन में रहने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने और डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी गई है.
  • मॉडरेट श्रेणी के मरीज़ों को वॉर्ड में भर्ती होने की सलाह दी गई है, जहां पर उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट मिल सके. इस दौरान मरीज़ के गंभीर होने पर चेस्ट सीटी और एक्स-रे करने की सलाह दी गई है.
  • सीवियर श्रेणी के मरीज़ों को आईसीयू में भर्ती करने की सलाह दी गई है. इस दौरान उनकी हालत के अनुसार रेस्पिरेटरी सपोर्ट देने के लिए कहा गया है.
  • मॉडरेट और सीवियर श्रेणी के मरीज़ों के क्लीनिकल सुधार के बाद डिस्चार्ज क्राइटेरिया के आधार पर उन्हें अस्पताल से छुट्टी देने के लिए कहा गया है.
  • 60 साल से अधिक आयु के लोगों, दिल संबंधी बीमारी, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, गुर्दे, फेफड़े, लीवर से जुड़ी बीमरियों से ग्रस्त लोगों के गंभीर रूप से बीमार होने की अधिक आशंका है. इनमें मृत्यु दर भी अधिक देखी गई है.
  • रेमडेसिविर सिर्फ़ मॉडरेट और सीवियर श्रेणी के उन मरीज़ों के लिए इस्तेमाल की जा सकती है जिन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की ज़रूरत नहीं है.
  • होम आइसोलेशन में मौजूद और ऑक्सीजन सपोर्ट नहीं ले रहे मरीज़ों को रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल न करने की सलाह दी गई है.
  • गंभीर रूप से बीमार मरीज़ जिन्हें आईसीयू में भर्ती हुए 24-48 घंटे हुए हैं और जिनकी बीमारी गंभीर हो रही है उन्हें टोसिलिज़ुमाब देने की सलाह दी गई है.
newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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