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Saturday, June 28, 2025

असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली वह प्रथम महिला:सुभद्रा कुमारी चौहान

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म नागपंचमी के दिन इलाहाबाद के निकट निहालपुर नामक गांव में रामनाथ सिंह के जमींदार परिवार में हुआ था। बाल्यकाल से ही वे कविताएँ रचने लगी थीं। उनकी रचनाएँ राष्ट्रीयता की भावना से परिपूर्ण हैं। सुभद्रा कुमारी चौहान, चार बहने और दो भाई थे। उनके पिता ठाकुर रामनाथ सिंह शिक्षा के प्रेमी थे और उन्हीं की देख-रेख में उनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी हुई। १९१९ में खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह के साथ विवाह के बाद वे जबलपुर आ गई थीं। १९२१ में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाली वह प्रथम महिला थीं। वे दो बार जेल भी गई थीं।सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी, इनकी पुत्री, सुधा चौहान ने ‘मिला तेज से तेज’ नामक पुस्तक में लिखी है। इसे हंस प्रकाशन, इलाहाबाद ने प्रकाशित किया है। वे एक रचनाकार होने के साथ-साथ स्वाधीनता संग्राम की सेनानी भी थीं। डॉo मंगला अनुजा की पुस्तक सुभद्रा कुमारी चौहान उनके साहित्यिक व स्वाधीनता संघर्ष के जीवन पर प्रकाश डालती है। साथ ही स्वाधीनता आंदोलन में उनके कविता के जरिए नेतृत्व को भी रेखांकित करती है।१५ फरवरी १९४८ को एक कार दुर्घटना में उनका आकस्मिक निधन हो गया था।

कथा साहित्य

‘बिखरे मोती’ उनका पहला कहानी संग्रह है। इसमें भग्नावशेष, होली, पापीपेट, मंछलीरानी, परिवर्तन, दृष्टिकोण, कदम्ब के फूल, किस्मत, मछुये की बेटी, एकादशी, आहुति, थाती, अमराई, अनुरोध, व ग्रामीणा कुल १५ कहानियां हैं! इन कहानियों की भाषा सरल बोलचाल की भाषा है! अधिकांश कहानियां नारी विमर्श पर केंद्रित हैं! उन्मादिनी शीर्षक से उनका दूसरा कथा संग्रह १९३४ में छपा। इस में उन्मादिनी, असमंजस, अभियुक्त, सोने की कंठी, नारी हृदय, पवित्र ईर्ष्या, अंगूठी की खोज, चढ़ा दिमाग, व वेश्या की लड़की कुल ९ कहानियां हैं। इन सब कहानियों का मुख्य स्वर पारिवारिक सामाजिक परिदृश्य ही है। ‘सीधे साधे चित्र’ सुभद्रा कुमारी चौहान का तीसरा व अंतिम कथा संग्रह है। इसमें कुल १४ कहानियां हैं। रूपा, कैलाशी नानी, बिआल्हा, कल्याणी, दो साथी, प्रोफेसर मित्रा, दुराचारी व मंगला – ८ कहानियों की कथावस्तु नारी प्रधान पारिवारिक सामाजिक समस्यायें हैं। हींगवाला, राही, तांगे वाला, एवं गुलाबसिंह कहानियां राष्ट्रीय विषयों पर आधारित हैं। सुभद्रा कुमारी चौहान ने कुल ४६ कहानियां लिखी और अपनी व्यापक कथा दृष्टि से वे एक अति लोकप्रिय कथाकार के रूप में हिन्दी साहित्य जगत में सुप्रतिष्ठित हैं!

सम्मान

भारतीय तटरक्षक सेना ने २८ अप्रैल २००६ को सुभद्राकुमारी चौहान की राष्ट्रप्रेम की भावना को सम्मानित करने के लिए नए नियुक्त एक तटरक्षक जहाज़ को सुभद्रा कुमारी चौहान का नाम दिया है। भारतीय डाकतार विभाग ने ६ अगस्त १९७६ को सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में २५ पैसे का एक डाक-टिकट जारी किया है।

कृतियाँ

कहानी संग्रह

  • बिखरे मोती (१९३२)
  • उन्मादिनी (१९३४)
  • सीधे साधे चित्र (१९४७)

कविता संग्रह

  • मुकुल
  • त्रिधारा
  • प्रसिद्ध पंक्तियाँ
  • यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।  मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥ 
  • सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,  गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,  दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। 
  • मुझे छोड़ कर तुम्हें प्राणधन  सुख या शांति नहीं होगी  यही बात तुम भी कहते थे  सोचो, भ्रान्ति नहीं होगी।

जीवनी

‘मिला तेज से तेज’

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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