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Saturday, June 28, 2025

अमेरिकी सेना भारत से सीखेगी ‘ठंड’ में युद्ध लड़ने के गुर|

बर्फीली हवाओं और माइनस तापमान में अच्छे-अच्छे देशों के सैनिक भी पीछे हट जाते हैं। लेकिन बात अगर भारतीय सेना की करें तो हर परिस्थिति में दुश्मन देश को मात देने में सक्षम हैं और इस बात की तस्दीक करते हैं, दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्रों में से एक करगिल युद्ध की जंग और सियाचिन ग्लेशियर पर देश के प्रहरी बने भारतीय जवान। जहां का तापमान शून्य से माइनस 50 से 70 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसी दुर्गम बर्फीली जगहों पर रहने और युद्ध जीतने क्षमता रखने वाले भारतीय सेना से दुश्मन देश भी ख़ौफ़ खाते हैं। भारतीय जवानों की इसी क्षमता के आगे अमेरिका जैसे देश भी हैरान है और इसलिए अमेरिकी सेना भी अब ‘ठंड’ में युद्ध लड़ने के गुर सीखेगी। वो भी भारत के सैनिकों से।

दरअसल ठंड के वातावरण में युद्ध लड़ने की खास क्षमताएं नहीं है, अमेरिकी सैनिक भारतीय सेना से प्रशिक्षण लेने में आर्कटिक युद्ध पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इसके लिए अमेरिकी सेना की अलास्का आर्मी एक द्वि-वार्षिक अभ्यास का आयोजन करेगी। यह सैन्य अभ्यास भारतीय सेनाओं के साथ 2022 में हिमालय की चोटियों पर होगा।

अमेरिकी सेना में एक विशेष ब्रिगेड टीम का गठन

अमेरिकी सेना की यूनिट आर्मी अलास्क के कमांडर मेजर जनरल पीटर एंड्रीसीक के अनुसार अमेरिकी सेना ने आर्कटिक युद्ध पर ध्यान केंद्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर उपकरण और संगठनात्मक ढांचे में बदलाव किया और एक विशेष ब्रिगेड टीम का गठन भी किया है। यह उपकरण काफी हद तक भारतीय सेना के समान हैं लेकिन हमारे पास ठंड के वातावरण में काम करने का अनुभव न होने से युद्ध लड़ने की क्षमताएं नहीं थीं। एंड्रीसीक का कहना है कि कमांड ने ठंड के मौसम में सैनिकों को प्रशिक्षित करने के लिए अधिक स्की, स्नोशो, बड़े टेंट और अन्य उपकरण खरीदे हैं, क्योंकि आर्कटिक योद्धा फरवरी में एक वार्षिक ब्रिगेड-स्तरीय अभ्यास की तैयारी कर रहे हैं।

ठंड के वातावरण में युद्ध लड़ने का भारतीय सैनिकों के पास अनुभव

आर्कटिक वातावरण में सैनिकों को युद्ध लड़ने के लिए प्रशिक्षण देने का प्रयास चल रहा है। यह पहल सेंटर फॉर इनिशियल मिलिट्री ट्रेनिंग द्वारा की गई है लेकिन साथ ही उन सैनिकों की भी भर्ती करना चाहता है, जिन्हें ठंडे मौसम के वातावरण में काम करने का अनुभव हो। एंड्रीसीक के मुताबिक उनकी आर्मी टीम हिमालय के एक पहाड़ी क्षेत्र में भारतीय सेना से उच्च ऊंचाई पर युुद्ध लड़ने का प्रशिक्षण लेने के लिए तैयारी कर रही है। भारतीय सेना को दुनिया भर की सेनाओं के मुकाबले ठंड के वातावरण में युद्ध लड़ने के मामले में सर्वश्रेष्ठ और अनुभवी माना जाता है। अभी भी भारतीय सेना चीन सीमा की ऊंचाइयों पर तैनात रहकर चीनी सेेेना से विवादों का सामना कर रही है।

आर्कटिक सागर की ज्यादातर बर्फ सन 2100 के बाद हो जायेगी नष्ट

बता दें कि आर्कटिक क्षेत्र में एक विशाल बर्फ से ढका महासागर है। आर्कटिक के मूल निवासी और उनकी संस्कृति इस क्षेत्र की विषम शीत और चरम परिस्थितियों के लिए अभ्यस्त हो गये हैं। आर्कटिक क्षेत्र वर्तमान में सिकुड़ रहा है, जिसकी वजह से समुद्री बर्फ की मात्रा में आई कमी है। कई तरह के परीक्षण किए जाने के बाद अनुमान लगाया गया है कि आर्कटिक सागर की ज्यादातर बर्फ या तो पूरी तरह से या फिर इसकी ज्यादातर मात्रा सितंबर, 2040 से लेकर सन 2100 के बाद नष्ट हो जायेगी। फिलहाल दो दशकों के मिशन में अमेरिकी सेना अलास्का के ठंडे मौसम में युद्ध लड़ने के तौर तरीके सीखने के लिए संघर्ष कर रही है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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