वाराणसी:सागौन और नीम के लकड़ी के राख में दूषित जल को साफ करने की क्षमता है। वैज्ञानिकों ने ये भी दावा किया है कि इससे गंगा जल को भी शुद्ध किया जा सकता है।पीने लायक बनाया जा सकेगा। आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों ने इसका सफल परीक्षण किया है। संस्थान के बॉयोकेमिकल इंजीनियरिंग के वैज्ञानिकों ने शोध में ये सफलता पाई है कि सागौन और नीम के लकड़ी के राख में दूषित जल को साफ करने की क्षमता है। वैज्ञानिकों ने ये भी दावा किया है कि इससे गंगा जल को भी शुद्ध किया जा सकता है।
बॉयोकेमिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रफेसर विशाल मिश्रा ने बताया कि सागौन और नीम के लकड़ी की राख में दूषित पानी के विषैले पदार्थों को निकालने की क्षमता होती है। सागौन की लकड़ी के बुरादे को सोडियम थायोसल्फेट के साथ मिलाकर नाइट्रोजन के वातावरण में गर्म कर एक्टिवेटेड चारकोल बनाया जाता है। सागौन के इसी चारकोल से पानी में मौजूद गैस, सल्फर, सेलेनियम जैसे हानिकारक घटकों को दूर किया जा सकता है, जबकि नीम की लकड़ी के राख से एडसॉर्बेट तैयार कर दूषित जल से तांबा, जस्ता को अलग किया जा सकता है।
कम लागत में शुद्ध होगा जल
आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों का दावा है कि इस विधि से दूषित जल को कम लागत में शुद्ध किया जा सकता है। विशाल मिश्रा ने बताया कि घरों में लगे आरओ सिस्टम में ऐक्टिव चारकोल के बजाय सागौन की लकड़ी से बने चारकोल को लगाकर पानी को शुद्ध किया जा सकता है। इससे जल के मिनरल्स भी सुरक्षित रहेंगे। जिसके कारण दूषित जल के कारण होने वाली बीमारियों को रोकने में ये विधि कारगर साबित होगी।